🔱 श्री ढुंढेश्वर महादेव – जहां मिलता है पापों से मुक्ति और पद-प्रतिष्ठा का वरदान
स्थान: रामघाट के समीप, उज्जैन (मध्य प्रदेश)
84 महादेवों में विशिष्ट स्थान
“तत्रास्ते सुमहापुण्यं लिंगं सर्वार्थ साधकम्।
पिशाचेश्वर सांनिध्ये तमाराधय सत्वरम्।।”
उज्जैन के प्रसिद्ध रामघाट के समीप स्थित एक प्राचीन और दिव्य शिव मंदिर है — श्री ढुंढेश्वर महादेव, जो भगवान शिव की करुणा और गणों की भक्ति का जीवंत प्रतीक है।
🌄 गणनायक ढुंढ की कथा – मोह, अपराध और प्रायश्चित
कैलाश पर्वत पर भगवान शिव के गणों में से एक था – गणनायक ढुंढ। वह कामी और दुराचारी स्वभाव का था।
एक दिन वह इंद्रलोक में अप्सरा रंभा को नृत्य करते हुए देखकर मोहित हो गया और उस पर पुष्पों का गुच्छ फेंक दिया।
इंद्र को यह व्यवहार अत्यंत अपमानजनक लगा और उन्होंने ढुंढ को शाप दे दिया —
“अब तू मृत्युलोक में जाकर भटकता रहेगा।”
🧘♂️ तपस्या की विफलताएँ और अंततः शिव की शरण
शापित होकर ढुंढ मृत्युलोक में गिर पड़ा और जब होश आया, तो अपने कृत्य पर गहरी ग्लानि हुई।
उसने शाप से मुक्ति के लिए महेंद्र पर्वत पर तप किया, फिर गंगा तट गया — परंतु कहीं भी सिद्धि प्राप्त नहीं हुई।
हताश होकर उसने धर्म और तप का त्याग करने का विचार किया, तभी उसे एक दिव्य भविष्यवाणी सुनाई दी:
“महाकाल वन जाओ, और शिप्रा तट पर स्थित पिशाच मुक्तेश्वर के समीप एक अत्यंत पुण्यशाली लिंग है, उसकी पूजा करो।”
🙏 शिवलिंग की पूजा और वरदान
ढुंढ तुरंत उज्जैन आया और पूरे समर्पण और निष्ठा के साथ उस लिंग की पूजा-अर्चना करने लगा।
भगवान शिव प्रसन्न हुए और वरदान माँगने को कहा।
ढुंढ ने प्रार्थना की:
“हे प्रभु! इस लिंग के पूजन से समस्त पाप नष्ट हों और यह लिंग मेरे नाम से प्रसिद्ध हो।”
भगवान शिव ने उसे यह वरदान दिया। तभी से यह स्थान “ढुंढेश्वर महादेव” के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
🌟 ढुंढेश्वर महादेव की महिमा
- यहां श्रद्धा से दर्शन व पूजन करने से
- पापों से मुक्ति मिलती है,
- सम्मान, पद और प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है,
- और मनुष्य को नई दिशा व आध्यात्मिक ऊर्जा मिलती है।
📍 मंदिर का स्थान:
रामघाट, उज्जैन, मध्य प्रदेश
(पिशाच मुक्तेश्वर मंदिर के समीप)
यह स्थान 84 महादेवों में अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है और शिवभक्तों के लिए गुप्त शक्ति-स्थल है।

84 महादेव : श्री ढुंढेश्वर महादेव(3)
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