🔱 श्री गुहेश्वर महादेव – जहां मिटता है अहंकार और मिलता है दिव्य तेज
स्थान: रामघाट, उज्जैन (पिशाच मुक्तेश्वर के पास सुरंग के भीतर)
84 महादेवों में क्रम संख्या: 2
“तत्रास्ते सर्वदा पुण्या सप्तकालपोद्भवा गुहा।
पिशाचेश्वरदेवस्य उत्तरेण व्यवस्थिता।।”
उज्जैन के रामघाट की शांत जलधारा के पास, पिशाच मुक्तेश्वर के उत्तर में स्थित एक रहस्यमयी सुरंग के भीतर, विराजमान हैं श्री गुहेश्वर महादेव। यह शिवलिंग न केवल अत्यंत पौराणिक है, बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी उच्चतम ऊर्जा से भरपूर माना जाता है।
🧘♂️ महायोगी मंकणक और उनकी अभिमान की कथा
प्राचीन काल में एक महान तपस्वी थे — ऋषि मंकणक। वे वेद-वेदांगों के ज्ञाता थे और सिद्धि प्राप्ति के उद्देश्य से निरंतर तपस्या में लीन रहते थे।
एक बार देवदारु वन में तप करते हुए, उन्हें हाथ में कुश का कांटा लगा, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से रक्त के स्थान पर शाक रस निकलने लगा। यह देख ऋषि को लगा कि यह उनकी सिद्धि का परिणाम है। वे अत्यंत अभिमानित हो उठे और गर्व से नृत्य करने लगे।
उनके नृत्य से सृष्टि का संतुलन बिगड़ गया —
- नदियाँ उलटी बहने लगीं,
- ग्रह उलटी दिशा में घूमने लगे,
- और पूरे ब्रह्मांड में हाहाकार मच गया।
🙏 शिव का आगमन और ऋषि का प्रायश्चित
देवताओं ने भगवान शंकर से निवेदन किया कि वे इस संकट को शांत करें। भगवान शिव स्वयं ऋषि मंकणक के पास पहुँचे और उन्हें नृत्य से रोकने का प्रयास किया।
ऋषि ने अपने तप की सिद्धि का घमंड जताया, तब शिव ने अपनी उंगली से भस्म निकालते हुए कहा:
“देखो, मेरे पास भी यह सिद्धि है, लेकिन मुझे कोई अहंकार नहीं और मैं नृत्य भी नहीं कर रहा।”
यह सुनकर ऋषि लज्जित हुए और उन्होंने क्षमा माँगी। उन्होंने शिवजी से पूछा,
“हे प्रभु! अब मैं अपना तप और कैसे बढ़ा सकता हूँ?”
🌄 गुफा में मिला तपोमय शिवलिंग – गुहेश्वर
शिवजी ने उत्तर दिया:
“महाकाल वन जाओ, वहाँ सप्त कुल में उत्पन्न एक लिंग मिलेगा — गुफा के पास। उसके दर्शन और पूजन से तुम्हारा तपोबल और तेज बढ़ेगा।”
ऋषि मंकणक वहाँ पहुँचे, और एक गुफा के पास गुप्त शिवलिंग की स्थापना देखी। उन्होंने वर्षों तक उसकी पूजा की, जिससे उन्हें
- सूर्य के समान तेज,
- दुर्लभ सिद्धियाँ,
- और आध्यात्मिक संतुलन प्राप्त हुआ।
तभी से वह शिवलिंग गुहेश्वर महादेव के नाम से प्रसिद्ध हो गया।
🌟 गुहेश्वर महादेव की महिमा
- अहंकार और अभिमान का नाश होता है।
- सिद्धियों का सही उपयोग करने की क्षमता प्राप्त होती है।
- ध्यान, तप और योग साधना में वृद्धि होती है।
विशेष पूजन तिथियाँ:
- श्रावण मास में विशेष महत्व
- अष्टमी और चतुर्दशी को दर्शन करने से विशेष पुण्यफल की प्राप्ति
📍 मंदिर का स्थान:
रामघाट, उज्जैन
(पिशाच मुक्तेश्वर मंदिर के पास सुरंग के भीतर)
यह स्थान अपने रहस्यमयी वातावरण और गूढ़ आध्यात्मिक ऊर्जा के कारण शिवभक्तों के लिए एक अनूठा तीर्थ बन चुका है।

84 महादेव : श्री गुहेश्वर महादेव(2)
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