सृष्टि की स्थापना के समय हिम युग से सभी देवी-देवता परेशान हो गए और शीत पीड़ा से परेशान होकर वे ब्रह्मा की शरण में गए। ब्रह्मा के सामने देवताओं ने स्तुति करते हुए कहा हम हिमाद्रि पर्वत से पीडित होकर आपकी शरण में आए हैं। यह सुनकर ब्रह्मा ने कहा कि हिमालय पर्वत पर तो भगवान शंकर के असुर रहते हैं। इस परेशानी का हल तो भगवान शंकर ही करेंगे। इसके बाद देवता भगवान शंकर की शरण में चले गए और अपनी परेशानी बताई। इस पर भगवान शंकर ने हिमालय को बुलाया और कहा, हे हिमालय तुम्हें मर्यादा में रहना चाहिए तुम्हारे कारण देवताओं तथा गंर्धव को परेशान होना पड़ रहा है। इतना कह कर भगवान शंकर हिमालय पर क्रोधित होकर लिंग मूर्ति रूप में निवास करने लगे।
साथ ही पर्वत से मंत्रों के उच्चारण से जल की धारा निकली। यहां पर निवास करने के कारण भगवान शंकर केदारेश्वर के नाम से प्रसिद्ध हुए। यह सब देखकर सभी देवता केदारेश्वर के स्थान पर प्रस्तुत हुए और भगवान को धन्यवाद दिया। कुछ समय बाद वहां धूल तथा हिम के कारण अंधकार हो गया। यात्री केदारेश्वर को इधर-उधर ढूंढने लगे। सभी महादेव की निंदा करने लगे। निंदा सुनकर महादेव ने आकाशवाणी करते हुए कहा कि जो भी मनुष्य पुराणों व शास्त्रों की निंदा करते हैं वे नर्क को प्राप्त होते है। यहां पर सदा केदारेश्वर है परंतु वह आठ माह दिखाई नहीं देंगे। इसलिए मेरे दर्शन अभी नहीं होगें। अगर तुम्हारी इच्छा सदा पूजन की है तो मेरे वचनों को ध्यान से सुनो।
क्षेत्रों में उत्तम क्षेत्र अवंतिकापुरी है। वहां क्षिप्रा के किनारे सोमेश्वर से पश्चिम में स्थान है केदारेश्वर। जितने माह में केदारेश्वर में मेरे दर्शन नहीं होगें, उतने समय में यही अवंतिका नगरी में विश्राम करूगां। मान्यता है कि जो भी मनुष्य केदारेश्वर महादेव के दर्शन करता है वह सभी पापों से मुक्त हो जाता है।

84 महादेव : श्री केदारेश्वर महादेव(67)
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