सालों पहले जल्प नाम का राजा हुआ। वह तेजस्वी था। उसके पांच पुत्र सुबाहु, शत्रुमहि, जय, विजय और विक्रांत थे। राजा ने पूर्व दिशा का राज्य सुबाहू, दक्षिण का शत्रुमहि, पश्चिम दिशा का जय और उत्तर दिशा का विजय ओर मध्य का विक्रांत को दिया ओर खुद तपस्या करने चला गया। इधर विक्रांत ने मंत्री के कहने पर चारों भाइयों के राज्य पर अधिकार कर लिया और सभी का वध कर दिया। यह बात राजा को पता चली तो वह शोक जताने लगा। राजा ने वन में ही वशिष्ठ मुनि से बात कही कि युद्ध में ब्राह्मणों की हत्या हुई है।
पुत्रों की हत्या हुई इसका पाप उसे मिलेगा। उसने मुनि से पाप कर्मो से मुक्त होने का उपाय पूछा। मुनि ने कहा कि राजन आप महाकाल वन में कुक्कुटेश्वर महोदव के पश्चिम में स्थित शिवलिंग का पूजन करें। उसका पूजन कर परशुराम भी पाप मुक्त हुए थे। राजा मुनि की आज्ञा से महाकाल वन में आया और शिवलिंग का पूजन किया। भगवान शंकर प्रसन्न हुए और आकाशवाणी हुई कि राजा तुम निष्पाप हो। जो हुआ वह भाग्य के कारण हुआ। तुम वरदान मांगो। राजा ने कहा कि मुझे जन्मों के बंधन से मुक्ति मिलें और मेरी ख्याति रहे। वरदान के कारण शिवलिंग जल्पेश्वर महोदव के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
मान्यता है कि जो भी मनुष्य जल्पेश्वर महादेव का दर्शन पूजन करता है उसे धन व पुत्र का वियोग नहीं होता है।

84 महादेव : श्री जल्पेश्वर महादेव(66)
External Links
- Kumbh Mela 2028 Ujjain
- Know Ujjain and its Culture
- Mahakal and Bhasmarti
- How to book bhasmarti tickets
- Temples of Ujjain
- Omkareshwar Darshan