काफी समय पूर्व अश्वशिरा नाम का एक राजा था। वह बड़ा ही धार्मिक ओर प्रजा पालक था। राजयज्ञ अनुष्ठान कर राजा ने सिद्धि को प्राप्त किया था। एक बार उसके राज्य में कपिल मुनि ओर जैगीशव्य ऋषि का आगमन हुआ। राजा ने उनका सम्मान किया तथा उनसे पूछा कि उसने सुना है कि भगवान विष्णु सर्वश्रेष्ठ हैं। उनके दर्शन व उनकी कृपा से मनुष्य मोक्ष को प्राप्त करता है। फिर ऐसे भगवान विष्णु को कोई प्रणाम क्यों नहीं करता है।

दोनों ऋषियों ने राजा से पूछा कि यह बात तुमसे किसने कही है। उन्होंने अपनी सिद्धि से राजा को उसकी राज्यसभा में भगवान के साथ संपूर्ण सृष्टि के दर्शन कराए। राजा ने कहा कि मैं आपकी सिद्धि को देखकर आश्चर्यचकित हूं। इस प्रकार की सिद्धि कैसे प्राप्त होगी। आप मुझे बताएं। राजा के वचन सुनकर दोनों मुनियों ने कहा कि राजन आप महाकाल वन में सिद्धेश्वर महादेव का पूजन करें तो आपको आलौकिक सिद्धि प्राप्त होगी। मुनियों की बात सुनकर राजा तुरंत आवंतिका नगरी आया और यहां दोनों मुनियों को देखा। राजा ने लिंग के मध्य भाग में भगवान विष्णु को बैठे देखा। इसके बाद राजा ने शिवलिंग का पूजन किया। सिद्धेश्वर महादेव ने उससे प्रसन्न होकर वरदान मांगने के लिए कहा। राजा ने कहा कि आपके दर्शन की इच्छा थी वह पूर्ण हुई। इस प्रकार राजा ने सिद्धि प्राप्त की और विष्णु रूप में शिवलिंग में लीन हो गया।

मान्यता है कि जो भी मनुष्य सिद्धेश्वर के दर्शन करता है वह विभिन्न सिद्धियों को प्राप्त करता है और अंतकाल में मोक्ष को प्राप्त करता है।