एक बार भगवान शंकर का गण नुपूर इंद्र की सभा में पहुंचा। वहां अप्सराएं नृत्य कर रही थी। नुपूर ने काम के वश में आकर उर्वशी को फूल मारा, जिससे उर्वशी क्रोधित हो गई। कुबेर ने क्रोधित होकर नुपूर को मृत्युलोक में गिरने का श्राप दिया। वह पृथ्वी पर गिर पड़ा। तभी मनसा देवी ने प्रकट होकर नुपूर से कहा कि तुम महाकाल वन में जाओ और दक्षिण भाग में स्थित शिवलिंग का पूजन करो। नुपूर तुरंत महाकाल वन में गया और शिवलिंग का पूजन किया।

शिवजी ने प्रसन्न होकर कहा कि नुपूर तुम्हारा कल्याण होगा। नुपूर के पूजन करने से यह शिवलिंग श्री नुपूरेश्वर महादेव के नाम से विख्यात हुआ। मान्यता है कि जो भी मनुष्य शिवलिंग के दर्शन कर पूजन करता है वह सभी रोग व दुखों से मुक्त होता है।