कई वर्षो पूर्व मार्कण्ड नाम के एक ब्राह्मण थे। वे वेद अध्ययन करते थे। उन्हे चिंता थी कि उनके यहां पुत्र नहीं है। उन्होंने पुत्र की कामना से हिमालय पर जाकर कठोर तप प्रारंभ कर दिया। अनके तप के कारण सृष्टि में अकाल पड़ने ओर सूर्य ओर चंद्र के अस्त होने की स्थिति निर्मित होने लगी। इस पर पार्वती ने शिव को कहा कि यह आपका भक्त है जो तप कर रहा है। आप इसकी कामना पूर्ण करें। शिव ने कहा पार्वती आपके कहने पर मैं इसकी तपस्या पूर्ण करूंगा। आप ब्राह्मण से कहें कि वह महाकाल वन में पत्तनेश्वर के पूर्व में स्थित पुत्र देने वाले शिवलिंग का पूजन करें। आकाशवाणी के बाद ब्राह्मण महाकाल वन में गया और शिवलिंग का पूजन किया। शिव पार्वती ने शिवलिंग से प्रकट होकर ब्राह्मण को पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया।
शिव के वरदान से वहां महामुनि मार्कण्डेय प्रकट हुए। वे तुरंत ही शिव की आराधना करने बैठ गए। मार्कण्डेय को तप करते देख शिव ने कहा कि अब शिवलिंग तुम्हारे नाम से विख्यात होगा। मार्कण्डेय के प्रकट होने ओर पूजन से शिवलिंग मार्कण्डेश्वर के नाम से विख्यात हुआ। जो भी मनुष्य इस शिवलिंग का पूर्ण श्रद्धा से पूजन करता है वह सदा सुखी ओर परमगति को प्राप्त होता है।

84 महादेव : श्री मार्कण्डेश्वर महादेव(36)
External Links
- Kumbh Mela 2028 Ujjain
- Know Ujjain and its Culture
- Mahakal and Bhasmarti
- How to book bhasmarti tickets
- Temples of Ujjain
- Omkareshwar Darshan