स्थान: उज्जैन, महाकाल वन
प्रलयकालीन ब्रह्मस्वरूप शिवलिंग
📜 श्लोक (भावार्थ अनुसार):
“सर्वं चराचरं यन्मे, दृष्टं श्रुतं च पार्वति।
मय्येव लीनं सर्वं, प्रलये महाकालवने॥”
📖 श्लोक का अर्थ:
हे पार्वती! जो कुछ भी इस संसार में दिखता और सुनाई देता है, वह सब मुझसे ही उत्पन्न होता है और प्रलय के समय महाकाल वन में मुझमें ही लीन हो जाता है।
📚 पौराणिक कथा: शिव और पार्वती का संवाद
एक बार माता पार्वती ने भगवान शिव से प्रश्न किया —
“प्रभु! समस्त चर-अचर, दृश्य-अदृश्य, जो कुछ इस संसार में है वह सब आपसे ही उत्पन्न हुआ है और आपमें ही लीन भी हो जाता है।
यह रहस्य क्या है?”
तब भगवान शिव मुस्कुराते हुए बोले:
“हे देवी! यह सब महाकाल वन की प्रलयकालीन अवस्था से जुड़ा रहस्य है। जब सृष्टि का अंत होता है, तब समस्त ब्रह्मांड, देवता, तत्व, शक्ति आदि मुझमें समा जाते हैं।
उस समय मैंने एक दिव्य रूप धारण किया जिसे महालयेश्वर के नाम से जाना जाता है।”
🔱 महालयेश्वर: सृष्टि और प्रलय का मूल
भगवान शिव ने कहा:
“इस शिवलिंग से ही ब्रह्मा, विष्णु, देवी-देवता, भूत, बुद्धि, प्रज्ञा, धृति, ख्याति, स्मृति, लज्जा और सरस्वती जैसे तत्व उत्पन्न हुए हैं।
और प्रलय के समय सभी इसी महालयेश्वर लिंग में विलीन हो जाते हैं।”
🙏 दर्शन लाभ (Benefits of Darshan)
- त्रिलोक विजय की प्राप्ति
- बुद्धि, स्मृति और यश में वृद्धि
- सभी सृजनात्मक और आध्यात्मिक शक्तियों का आशीर्वाद
- प्रलयकालीन दोषों और भय से रक्षा
📅 विशेष दर्शन तिथि:
- महाशिवरात्रि
- श्रावण मास के सोमवार
- चतुर्दशी और अष्टमी तिथि
📍 मंदिर की स्थिति
श्री महालयेश्वर महादेव मंदिर,
महाकाल वन क्षेत्र, उज्जैन
यह मंदिर आध्यात्मिक दृष्टि से अति दुर्लभ शिवलिंगों में गिना जाता है, क्योंकि इसमें सृष्टि और प्रलय दोनों की ऊर्जा समाहित है।

84 महादेव : श्री महालयेश्वर महादेव (24)
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