स्थान: छोटा सराफा, नृसिंह मंदिर के पीछे, उज्जैन
वर्षा प्रदाता शिवलिंग जो धरती को संतुलन देता है
📜 श्लोक:
“भविष्यन्ति नरा भूमौ कृतार्थास्तत्प्रभावतः।
दर्शनादस्य लिङ्गस्य कामवृष्टिर्भविष्यति॥”
(स्कन्द पुराण, त्रयोविंशोऽध्यायः, श्लोक 39)
📖 श्लोक का अर्थ:
इस लिंग के दर्शन मात्र से पृथ्वी पर वर्षा होगी और मनुष्य अपने सभी कार्यों में सफल होंगे।
📚 पौराणिक कथा: वर्षा संकट, दोषयुक्त राजा और देवों की याचना
द्वापर और कलियुग की संधि पर एक अत्यंत अहंकारी और पापी राजा हुआ करता था, जिसका नाम था मदांध। उसके दुष्कर्मों के कारण 12 वर्षों तक वर्षा नहीं हुई।
नदियाँ सूख गईं, यज्ञ बंद हो गए, खेती नष्ट हो गई, वेदपाठ और अध्यात्म समाप्त हो गया। समस्त पृथ्वी पर त्राहि-त्राहि मच गई।
☁️ देवताओं की गुहार और भगवान विष्णु की सलाह
समस्या विकराल होती देख इंद्र और अन्य देवगण, क्षीरसागर के उत्तर स्थित श्वेतद्वीप में भगवान जनार्दन (विष्णु) के पास गए और निवेदन किया:
“प्रभु! वर्षा न होने से समस्त सृष्टि संकट में है, कोई उपाय बताइए।”
भगवान विष्णु ने ध्यान लगाकर कहा —
“महाकाल वन में एक दिव्य लिंग है, जो प्रतिहारेश्वर के ईशान कोण में स्थित है। उस लिंग का नाम है मेघनादेश्वर।
उसके पूजन अर्चन से मेघों की उत्पत्ति होती है और वृष्टि होती है।”
🌧️ शिव की कृपा और अमृत वर्षा
देवगण महाकाल वन पहुंचे और भक्तिपूर्वक उस लिंग की स्तुति करने लगे। तभी उस लिंग से कई मेघ प्रकट हुए और आकाश में फैलकर भीषण वृष्टि करने लगे।
सूखी हुई नदियाँ फिर बहने लगीं, अन्न, जल और जीवन पुनः बहाल हो गया।
देवताओं ने प्रसन्न होकर उस लिंग को नाम दिया —
“मेघनादेश्वर महादेव” – वर्षा के स्वामी।
🙏 दर्शन लाभ (Benefits of Darshan)
- वृष्टि प्राप्ति और वर्षा हेतु विशेष पूजन
- सूखा और आपदा से रक्षा
- पितृ शांति और पुण्य वृद्धि
- धरती पर संतुलन और समृद्धि
📅 विशेष तिथियाँ:
- श्रावण मास
- चतुर्दशी
- वर्षा ऋतु में विशेष पूजन
📍 मंदिर की स्थिति
श्री मेघनादेश्वर महादेव मंदिर
छोटा सराफा, नृसिंह मंदिर के पीछे, उज्जैन
चौरासी महादेवों में से 23वें स्थान पर स्थित यह मंदिर एक जल और जीवन प्रदायक शिवलिंग के रूप में प्रसिद्ध है।

84 महादेव : श्री मेघनादेश्वर महादेव(23)
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