स्थान: महाकाल वन, उज्जैन
पक्षी योनि विमोचन व पितृ दोष निवारण का दुर्लभ तीर्थ स्थल
📜 श्लोक:
“कुक्कुटेश्वरमादित्यं एकविंशं समुद्धृतम्।
पक्षी योनि विमोचाय, पित्रदोष विनाशनम्॥”
(स्कन्द पुराण, महाकाल खंड)
📖 श्लोक का अर्थ:
कुक्कुटेश्वर महादेव वे हैं जिनके दर्शन मात्र से पक्षी योनि का बंधन टूटता है और पितृ दोष का नाश होता है।
📚 पौराणिक कथा: मुर्गा बना राजा और दुखी रानी
प्राचीन समय में कौषिक नामक एक राजा थे जो दिन में मनुष्य रहते, किंतु रात होते ही कुक्कुट (मुर्गा) बन जाते थे। उनकी पत्नी रानी विशाला इस कारण बेहद दुखी रहती थीं, क्योंकि रात्रि में वे रति सुख से वंचित रहती थीं।
🧘♂️ गालव ऋषि से शाप का रहस्य
एक दिन रानी अपने दुःख को लेकर गालव ऋषि के पास पहुंची और राजा की रात्रिकालीन दशा का कारण पूछा।
गालव ऋषि ने तप द्वारा देखा और बताया:
राजा कौषिक पूर्वजन्म में राजा विदूरत के पुत्र थे।
वे विषयासक्त व मांसभक्षी हो गए थे और अनेक मुर्गों का वध किया।
तब कुक्कुटों के राजा ताम्रचूड़ ने उन्हें शाप दिया:
“तू रात्रि में मुर्गा बन जाएगा और क्षय रोग से पीड़ित रहेगा।“
शाप के कारण राजा रोगग्रस्त हो गया। समाधान हेतु वह वामदेव मुनि के पास गया। वामदेव ने ताम्रचूड़ से क्षमा याचना करने की बात कही। ताम्रचूड़ ने क्षमा कर कहा:
“तू निरोग रहेगा पर रात्रि में अदृश्य हो जाएगा।”
🌙 रानी विशाला को उपाय
रानी ने पुनः गालव ऋषि से उपाय पूछा। उन्होंने कहा:
“महाकाल वन जाओ, जहां जबलेश्वर महादेव के समीप एक दिव्य लिंग है।
वह लिंग पक्षी योनि विमोचन और पितृ दोष निवारण के लिए विख्यात है।
उसी लिंग का पूजन करो।”
राजा-रानी महाकाल वन पहुंचे और पूजा-अर्चना की।
उसी रात राजा कुक्कुट रूप से मुक्त होकर मानव रूप में स्थिर रहे और रानी को वैवाहिक सुख प्राप्त हुआ।
🙏 दर्शन लाभ (Benefits of Darshan)
- कुक्कुट/पक्षी योनि से मुक्ति
- पितृ दोष निवारण
- गृहस्थ सुख की प्राप्ति
- रात्रिकालीन दोषों का नाश
- दांपत्य जीवन में मधुरता व सन्तान सुख
📅 विशेष तिथियाँ:
- श्रावण मास
- अष्टमी, चतुर्दशी
- सोमवार
- पितृपक्ष
📍 मंदिर की स्थिति
श्री कुक्कुटेश्वर महादेव मंदिर
महाकाल वन, जबलेश्वर महादेव के पास
उज्जैन, मध्यप्रदेश
चौरासी महादेव में से एक दिव्य लिंग

84 महादेव : श्री कुक्कुटेश्वर महादेव(21)
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