देवमष्टादशं विद्धि ख्यातं कलकलेश्वरम्।
यस्य दर्शन मात्रेण कल्हौनैव जायते।।
(स्कंदपुराण अष्टादशोअध्यायः, प्रथम श्लोक)
मान्यतानुसार श्री कलकलेश्वर महादेव के दर्शन, पूजन, अभिषेक करने से पति-पत्नी का कलह व मनमुटाव समाप्त होता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार मां पार्वती मंडप में मातृकाओं के साथ बैठी थी। उनके मध्य वह कृष्ण वर्ण की दिख रही थी। तब भगवान शंकर ने मजाक करते हुए कहा – हे महाकाली ! तुम मेरे पास आकर बैठो। मेरे गौर शरीर के पास बैठने से तुम्हारी शोभा बिजली की तरह होगी क्योंकि मैंने सफ़ेद रंग के सर्पों का वस्त्र पहना है और सफ़ेद चन्दन लगाया है। तुम रात्रि के समान काली अगर मेरे पास बैठोगी तो मुझे नजर नहीं लगेगी। इस पर माँ पार्वती रुष्ट हो गई। उन्होंने कहा, आपने जब नारदजी को मेरे पिता के पास मुझसे विवाह करने भेजा था, तब क्या आपने मेरा रूप नहीं देखा था?
इस प्रकार भगवान शिव और माँ पार्वती में सामान्य सी बात बढ़कर कलह हो गई जिसने उग्र रूप धारण कर लिया। कलह बढ़ने से तीनों लोकों में प्राकृतिक विपत्तियां उत्पन्न होने लगी। पंचतत्व, अग्नि, वायु, आकाश व सम्पूर्ण पृथ्वी में असंतुलन होने लगा तथा चारों ओर भारी हाहाकार होने लगा। परिणामस्वरूप देव, गन्धर्व, यक्ष, राक्षस सभी भय को प्राप्त हुए। इसी कोलाहल से पृथ्वी भेद कर एक दिव्य लिंग प्रकट हुआ जिसमें से वाणी प्रसारित हुई, “इस लिंग का पूजन करें, इससे कलेश, कलह दूर होगा”। तब देवताओं ने इस लिंग का पूजन किया जिसके फलस्वरूप माँ पार्वती का क्रोध शांत हुआ एवं तीनों लोकों में पुनः शांति स्थापित हुई। तब सभी देवों ने उनका नाम कलकलेश्वर महादेव रखा।
दर्शन लाभ:
मान्यतानुसार श्री कलकलेश्वर महादेव के दर्शन करने से कलह, कलेश आदि नहीं होता है। गृह शांति बनी रहती है। ऐसा माना जाता है कि यहां दर्शन करने से व्याधि, सर्प, अग्नि जैसे भय दूर हो जाते हैं। यहां दर्शन बारह मास में कभी भी किए जा सकते हैं लेकिन श्रावण मास एवं चतुर्दशी के दिन दर्शन का विशेष महत्व माना गया है। उज्जयिनी स्थित चौरासी महादेव में से एक श्री कलकलेश्वर महादेव का मंदिर गोपाल मंदिर के पास मोदी की गली में अग्रवाल धर्मशाला के सामने स्थित है।

84 महादेव : श्री कलकलेश्वर महादेव(18)
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