भक्तों की हर प्रकार के अभिषेक के साथ आस्था जुड़ी हुई है। हर अभिषेक के अपने धार्मिक और आध्यात्मिक फायदे हैं। सावन में सबसे ज्यादा भोले बाबा का दूध से अभिषेक किया जाता है।

मंत्र का उच्चारण करते हुए जल चढ़ाने से मन को शांति मिलती है।
शहद चढ़ाने से वाणी में मिठास आती है।
दूध चढ़ाने से स्वास्थ्य ठीक रहता है।
दही चढ़ाने से स्वभाव गंभीर होता है।
शिवलिंग पर घी चढ़ाने से शक्ति बढ़ती है।
शिवलिंग पर इत्र अर्पित करने से विचार पवित्र होते हैं।
चंदन का टीका लगाने से व्यक्तित्व आकर्षक बनता है।
केसर चढ़ाने से सौम्यता आती है।
भांग चढ़ाने से विकार दूर हो जाते हैं।
शक्कर चढ़ाने से सुख और समृद्धि बढ़ती है।

हर अर्पण का अपना आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्व है। ये सभी चीजें भगवान शिव को अतिप्रसन्न करने के लिए हैं। सावन में खासतौर भक्त अपने भोले बाबा को प्रसन्न करने के लिये दूध-दही-शहद-चंदन-केसर-अक्षत के साथ बेलपत्र, धतूरा और आंकड़े के फूल चढ़ाते हैं।

भक्तों के हाथों में ही शिवलिंग का आकार है जिसे वो चाहें तो क्षरण होने से रोक सकते हैं। महाकालेश्वर शिवलिंग का क्षरण रोकने के लिए जल, पंचामृत, फूल, भस्म और भांग और अन्य चढ़ाने वाली सामग्री प्रतीकात्मक रूप में रहे ताकि इन सब सामग्रियों के अधिक मात्रा में चढ़ने से शिवलिंग का क्षरण न हो। ऐसे में महाकालेश्वर के सभी भक्त निश्चित मात्रा में अपने आराध्य को जल चढ़ाएं लेकिन वो जल आरओ का हो ताकि हजारों साल पुराना ज्योतिर्लिंग अपनी महत्ता के साथ युगों-युगों तक बना रहे।